वीडियो : शौचालय में तालाबंदी मामले पर बढ़ता जा रहा अधिवक्ताओं का गुस्सा ..

कहना है कि इस समस्या के कारण महिला अधिवक्ता व वादकारी महिलाओं को भी काफी परेशानी होती है. आश्चर्य की बात है नारी सशक्तिकरण की बात करने वाले इस देश के न्यायालय परिसर में ही महिलाओं की लज्जा भंग होने की स्थिति बनी रहती है. 





- महिलाओं के शौचालय में तालाबंदी होने के कारण हो रही काफी परेशानी
- हर दिन 50 महिला अधिवक्ता ढाई सौ से ज्यादा महिला वादकारी पहुंचती है न्यायालय

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के व्यवहार न्यायालय में महिलाओं के शौचालय में ताला बंद होने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. कई अधिवक्ताओं ने कहा है कि निश्चित रूप से यह स्थिति ठीक नहीं है और इसका जल्द ही स्थायी समाधान होना चाहिए. अधिवक्ताओं का कहना है कि इस समस्या के कारण महिला अधिवक्ता व वादकारी महिलाओं को भी काफी परेशानी होती है. आश्चर्य की बात है नारी सशक्तिकरण की बात करने वाले इस देश के न्यायालय परिसर में ही महिलाओं की लज्जा भंग होने की स्थिति बनी रहती है. 

अधिवक्ता ज्ञानेंद्र कुमार द्विवेदी, अरविंद पांडेय तथा महेंद्र चौबे ने बताया कि जब कोई जांच टीम अथवा हाईकोर्ट के कोई अधिकारी जिले में पहुंचते हैं तो न्यायालय की साफ-सफाई तथा रंग-रोगन का काम तेज कर दिया जाता है. अधिवक्ता संघ के चुनाव के समय भी इसी तरह की स्थिति होती है, लेकिन जैसे ही अधिकारी वापस चले जाते हैं अथवा चुनाव संपन्न हो जाता है तो फिर से महिलाओं के शौचालय में तालाबंदी कर दी जाती है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति बनी रहे तो निश्चय ही महिलाएं रोग ग्रसित हो जाएंगी.

बता दें कि व्यवहार न्यायालय में महिलाओं के शौचालय में ताला बंद होने की बात सामने आने पर महिला अधिवक्ताओं ने कड़ा विरोध जताया था और कहा था कि इस बात की सुनवाई जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी नहीं करते. इस पर शुक्रवार को कई पुरुष अधिवक्ताओं ने भी विरोध जताया. उधर मामले में व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता संघ के सचिव बिंदेश्वरी प्रसाद पांडेय ने कहा कि जल्द ही व्यवस्था को दुरुस्त करने का प्रयास किया जाएगा.

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