साबित ख़िदमत फाउंडेशन ने मनाया जिला स्थापना दिवस, लता श्रीवास्तव को दी श्रद्धांजलि ..

मशहुर शायर शादाब आजमी ने अपनी रूहानी आवाज में "मिले जब बुलंदिया तो मेरा नाम याद रखना .." पढ़कर सबका दिल जीत लिया" और सभी सुनने वाले को मंत्र मुग्ध कर दिया. कवियित्री नसीमा निशा ने "जीने को अब चाह किसे है, जीते जी मारे गए हम. कितने सावन बीत गए .." नज़्म सुनाकर स्थापना दिवस को ऐतिहासिक बनाया.








- साबित खिदमत फाउंडेशन एवं मानवाधिकार तथा सामाजिक न्याय संस्था के बैनर तले हुआ आयोजन
- मौजूद रहे देशभर से पहुंचे शायर, जिले के सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रबुद्ध जन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : साबित खिदमत फाउंडेशन एवं मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय व मानवाधिकार संस्था के बैनर तले जिला स्थपना दिवस मनाया गया. मौके पर लता श्रीवास्ताव को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस दौरान देश भर से पहुंचे शायर, जिले के सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रबुद्ध जन मौजूद रहे.

कार्यक्रम में मौजूद सभी लोग लता श्रीवास्तव की जीवनी याद कर भाव विभोर हो रहे थे. मशहूर शायर साबित रोहतास्वी ने अपने शेर से लता जी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने अपनी नज़्म में कहा कि "जाने वाले लौट के आजा याद तेरी पूरे बक्सर को आई है .."


मौके पर देश के मशहुर शायर शादाब आजमी ने अपनी रूहानी आवाज में "मिले जब बुलंदिया तो मेरा नाम याद रखना .." पढ़कर सबका दिल जीत लिया" और सभी सुनने वाले को मंत्र मुग्ध कर दिया. कवियित्री नसीमा निशा ने "जीने को अब चाह किसे है, जीते जी मारे गए हम. कितने सावन बीत गए .." नज़्म सुनाकर स्थापना दिवस को ऐतिहासिक बनाया.

इसके बाद गुलाम ख़्वाजा ने  "विधवा बनाके पहले तो दूल्हा चला गया. तन्हा वो रह गई थी जो बेटा चला गया .." सुनाकर सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की. ये ग़ज़ल साबित रोहतासवी ने लता जी की श्रद्धांजलि के लिए  लिखी थी. जिसको सुनकर सैकड़ों लोगों की आंखों में आ गए. 


पूर्व सैनिक संघ के सदस्यों तथा अन्य मौजूद लोगों ने साबित खिदमत फाउंडेशन के सभागार में सभागार में मौन रहकर अपनी श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम के दौरान समाजसेवी और चिकित्सक डॉ दिलशाद आलम सभी आगंतुकों को पुष्प गुच्छ और शॉल देकर सम्मानित किया.


कार्यक्रम में पूर्व नगर परिषद  चैयरमैन मीना सिंह, रोटेरियन समाजसेवी राज कुमार, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के जिलाध्यक्ष डॉ शेखर, रेडक्रॉस के सचिव डॉ श्रवण तिवारी, समाजसेवी निसार अहमद, हामिद रजा, जुल्फिकार अली भुट्टो, कमाल खान, विद्या सागर चौबे मौजूद रहे.

अंत में गुलाम ख्वाजा ने देशभक्ति गीत सुनाकर. स्थापना दिवस को ऐतिहासिक बनाया. धन्यवाद ज्ञापन मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संस्था के जिलाध्यक्ष डॉ दिलशाद आलम ने किया.















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