वीडियो : आनंद मोहन के साथ-साथ बक्सर जेल से भी छूट गए तीन कैदी ..

इन सभी ने 14 वर्षों से ज्यादा की सजा काट ली है. हालांकि रामाधार राम फिलहाल नहीं छोड़े जा रहे हैं क्योंकि उन्हें 7 हज़ार रुपयों का अर्थदंड भी जमा करना था जो उन्होंने अब तक नहीं जमा किया है. ऐसे में यदि वह अर्थदंड जमा करते हैं तो उनकी रिहाई होगी अन्यथा उन्हें 1 माह 15 दिन और जेल में गुजारने होंगे.




- बक्सर केंद्रीय कारा के मुक्त कारागार से रिहा किए गए बंदी
- 14 वर्षों से ज्यादा भुगत चुके थे आजीवन कारावास की सजा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : पूर्व सांसद व बाहुबली नेता आनंद मोहन को रिहा करने का आदेश जारी होते ही बिहार के विभिन्न जेलों से 27 कैदियों को छोड़े जाने की लिस्ट जारी हो गई, जिनमें बक्सर के भी चार बंदी शामिल हैं. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि राज्य डंडादेश परिहार परिषद की बैठक में 14 वर्षों तक जेल में समय गुजारने वाले आजीवन कारावास प्राप्त कैदियों को मुक्त किए जाने की अनुशंसा राज्य सरकार से की गई थी. इसके बाद पूरे राज्य के विभिन्न 49 जेलों में बंद 23 बंदियों को मुक्त किए जाने का फैसला लिया गया, जिसमें बक्सर के 4 कैदियों को छोड़ा जाना था. उनमें से 3 की रिहाई मंगलवार को हो गई. एक अन्य की रिहाई जुर्माना नहीं देने के कारण नहीं हो पाई है. जुर्माना नहीं देने पर उन्हें 1 माह 15 दिन और जेल में गुजारने होंगे.



जानकारी देते हुए केंद्रीय कारा अधीक्षक राजीव कुमार ने बताया कि जेल महानिरीक्षक के द्वारा जारी आदेश के आलोक में फिलहाल छपरा निवासी जितेंद्र सिंह, आरा जिले के रमदतही गांव निवासी किशुनदेव राय, नालंदा जिले के राजबल्लभ यादव तथा आरा के रामाधार राम को छोड़े जाने का आदेश जारी हुआ. इन सभी ने 14 वर्षों से ज्यादा की सजा काट ली है. हालांकि रामाधार राम फिलहाल नहीं छोड़े जा रहे हैं क्योंकि उन्हें 7 हज़ार रुपयों का अर्थदंड भी जमा करना था जो उन्होंने अब तक नहीं जमा किया है. ऐसे में यदि वह अर्थदंड जमा करते हैं तो उनकी रिहाई होगी अन्यथा उन्हें 1 माह 15 दिन और जेल में गुजारने होंगे.

हुआ है दूसरा जन्म :

जेल से छूटे बंदियों से बात करने पर उन्होंने बताया कि वह मान चुके थे कि अब उनकी मौत के बाद यहां से उनकी रिहाई होगी. ऐसे में आज अपनी रिहाई को वह दूसरा जन्म मान रहे हैं. उन्होंने बताया कि किसी से झगड़े के दौरान उसकी हत्या हो जाने, बागीचे आम तोड़ने के दौरान किसी को मार देने पर उसकी मौत हो जाने जैसी हत्याओं के मामलों में वह आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे थे. अच्छे व्यवहार के कारण अब उन्हें मुक्त कारागार में तो रखा दिया गया था लेकिन उम्मीद नहीं थी कि उनकी जीते जी रिहाई हो सकेगी. सभी ने कहा कि आनंद मोहन के साथ ही उनका भी कल्याण हो गया.

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