वीडियो : याद किए गए इस्लाम के लिए अपनी जान देने वाले लोग ..

विभिन्न कमेटियों के द्वारा निकाले गए ताजिया जुलूस के दौरान सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे. सभी चौक चौराहों पर पुलिस बल की व्यापक व्यवस्था की गई थी. साथ ही साथ जो भी जुलूस निकल रहे थे उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जा रही थी. सम्पूर्ण नगर "या हुसैन हम होते, या अली हम होते"  के नारों से गुंजायमान हो रहा था.







- नगर के विभिन्न इलाकों में निकाला गया था ताजिया जुलूस
- जुलूस में शामिल हुए इमाम हुसैन तथा अब्बास अली के फॉलोअर्स

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : हजरत इमाम हुसैन, उनके बेटे अब्बास अली तथा अन्य परिजनों की शहादत की याद में मनाए जाने वाले मुहर्रम पर्व के मौके पर जिले के विभिन्न इलाकों में ताजिया जुलूस निकाले गए जुलूस के साथ चल रहे युवाओं ने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्रों से लैस होकर करतब दिखाए तथा कर्बला की लड़ाई की याद को ताजा किया.

बक्सर तथा डुमरांव नगर में विभिन्न कमेटियों के द्वारा निकाले गए ताजिया जुलूस के दौरान सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे. सभी चौक चौराहों पर पुलिस बल की व्यापक व्यवस्था की गई थी. साथ ही साथ जो भी जुलूस निकल रहे थे उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जा रही थी. सम्पूर्ण नगर "या हुसैन हम होते, या अली हम होते"  के नारों से गुंजायमान हो रहा था.

दरअसल, कर्बला में सीरिया के खलीफा जिसने खुद को लगभग बादशाह घोषित कर दिया था उसके और इमाम हुसैन तथा उनके 72 परिजनों के बीच जंग हुई थी. यह जंग इसलिए हुई थी क्योंकि खलीफा यजीद बादशाहों की तरह कार्य करता था और इस्लाम विरोधी गतिविधियों में लिप्त था. इसका विरोध इमाम हुसैन ने किया जिसजे कारण उन्हें यजीद नामक खलीफा से युद्ध करना पड़ा. इराक की राजधानी बगदाद के पास कर्बला में यह युद्ध जहां इमाम हुसैन तथा उनके 72 परिजन मारे गए.

वीडियो : 










Post a Comment

0 Comments