उनके साथ न सिर्फ मारपीट हुई बल्कि पुलिस भी उल्टे उन्हें ही लेकर थाने में चली गई. फिलहाल पूछताछ के नाम पर मरीज के परिजन थाने में 5 घंटे से बैठे हुए हैं. जबकि उनमें से एक घायल भी है.
- मरीज के परिजन और सुरक्षा तथा अस्पताल कर्मी दोनों लग रहे एक दूसरे पर आरोप
- घटना को लेकर बना रहा अफरातफरी का माहौल
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : अस्पताल की कुव्यवस्थाओं का विरोध करना मरीज के परिजनों को भारी पड़ गया. उनके साथ न सिर्फ मारपीट हुई बल्कि पुलिस भी उल्टे उन्हें ही लेकर थाने में चली गई. फिलहाल पूछताछ के नाम पर मरीज के परिजन थाने में 5 घंटे से बैठे हुए हैं. जबकि उनमें से एक घायल भी है. उधर इस घटना के बाद युवकों के साथ पहुंची गर्भवती महिला मरीज भी सदर अस्पताल में काफी परेशान दिखी. इस मामले में नगर थानाध्यक्ष दिनेश कुमार मालाकार से बात करने पर उन्होंने मामले की जानकारी नहीं होने की बात कही.
दरअसल, सदर अस्पताल मरीजों के परिजनों और सदर अस्पताल में तैनात सुरक्षाकर्मियों के बीच जमकर मारपीट हुई. मरीज के परिजनों का कहना था कि अल्ट्रासाउंड केंद्र में उनके साथ होमगार्ड के जवान के द्वारा दुर्व्यवहार किया गया है. दूसरी तरफ होमगार्ड के जवान तथा चिकित्सकों का भी इसी तरह का आरोप मरीज के परिजनों के विरुद्ध था. घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मरीज के परिजनों को हिरासत में ले लिया और पूछताछ के नाम पर थाने ले गई.
घटना के संदर्भ में जानकारी देते हुए अपनी गर्भवती पत्नी का इलाज करने के लिए पहुंचे शशि श्रीवास्तव नामक युवक ने बताया कि होमगार्ड के जवान के द्वारा अल्ट्रासाउंड केंद्र में उपस्थित महिलाओं के साथ बदतमीजी की जा रही थी. ऐसे में उन्होंने इस बात का विरोध किया तो उनके साथ मारपीट की गई. मारपीट में उनके साथ खड़े अभिषेक मौर्य नामक युवक का सिर फट गया है. बाद में वीरेंद्र यादव नामक एक युवक ने बीच बचाव कर मामले की सुलझाने की कोशिश की लेकिन उसके साथ भी होमगार्ड के जवानों ने मारपीट की.
उधर, मामले में गृह रक्षक पूजा कुमारी ने बताया कि शशि नामक व्यक्ति के साथ एक महिला अल्ट्रासाउंड करने के लिए पहुंची हुई थी. अल्ट्रासाउंड में विलंब हो रहा था तो महिला ने पूछा कि इतना विलंब क्यों हो रहा है. अभी वह उस महिला को समझा ही रही थी तब तक उनके साथ अस्पताल पहुंचे शशि नामक युवक ने यह कह कर उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया कि वह यदि होमगार्ड के जवान हैं तो अपना पहचान पत्र दिखाएं. इसी बात को लेकर विवाद शुरु हो गया.
चिकित्सक डॉ अनिल सिंह एवं डॉ श्याम बाबू रजक ने बताया कि युवक परिजनों को लेकर इलाज कराने के लिए पहुंचे हुए थे लेकिन वह लगातार दुर्व्यवहार कर रहे थे और इसका वीडियो भी बना रहे थे. मना करने पर युवक दुर्व्यवहार को उतारु हो गए.
बहरहाल, यह मामला सामने आने के बाद एक बात तो साफ हो गई है कि यह जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत चरितार्थ हो रही है. क्योंकि जिस तरह से मरीज के परिजन अपने चोट दिखा रहे थे, उससे यह स्पष्ट था कि उनके साथ मारपीट हुई है. ऐसे में एक पक्षीय कार्रवाई करने से कहीं ना कहीं प्रशासन के प्रति लोगों का भरोसा कमजोर पड़ा है.
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