बक्सर के बाद अब आरा और वाराणसी में भी विद्वानों की बैठक, सात को ही जीवित्पुत्रिका व्रत करने का निर्णय ..

सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सप्तमी विद्धा अष्टमी का त्याग करते हुए उदय कालीन अष्टमी में 7 अक्टूबर को जीवित्पुत्रिका व्रत शास्त्र सम्मत है. ज्योतिष शास्त्र से पंचाग है न की पंचाग से ज्योतिष शास्त्र ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है की सप्तमी युक्त अष्टमी करने पर सात जन्मो तक बन्ध्या और बार-बार विधवा होना पड़ता है. 







- विद्वानों ने दूर किए सभी असमंजस
- पितृपक्ष को लेकर दी महत्वपूर्ण जानकारी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जीवित्पुत्रिका व्रत की तिथि को लेकर हुए असमंजस को दूर करने के लिए बक्सर के बाद अब विद्वतगणों की बैठक आरा और वाराणसी में हुई जिसमें यह निर्णय लिया गया कि आगामी सात अक्टूबर 2023 को ही यह व्रत किया जाए क्योंकि यही सही तिथि है. ऐसा नहीं करने पर सात जन्मों तक बन्ध्या और बार-बार विधवा होना पड़ता है.

श्रीसनातन शक्तिपीठ संस्थानम् की विद्वत मंडल की बैठक आचार्य डॉ भारतभूषण पाण्डेय की अध्यक्षता में आरा में हुई. जिसके बाद एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह बताया गया कि आगामी सात अक्टूबर को जितिया व्रत करने का निर्णय लिया गया है. आचार्य भारत भूषण पाण्डेय ने बताया कि सात को अष्टमी तिथि में सूर्योदय हो रहा है और सुबह 10 बजकर 21 मिनट तक अष्टमी रहेगी.

छह अक्टूबर को सप्तमी विद्धा अष्टमी त्याज्य है. सात को व्रत और आठ अक्टूबर को प्रातः काल से पारण करना श्रेयस्कर होगा. बैठक में पितृपक्ष को लेकर भी लोगों द्वारा की गई शंकाओं का समाधान करते हुए कहा गया कि देव पितृ कार्य नित्य कार्य हैं. बैठक में पं. विश्वनाथ तिवारी, पं. मधेश्वर नाथ पांडेय, पं. दुर्गाशंकर चौबे, पं. शंकर पाठक, पं. संजय पाठक आदि थे.

वाराणसी के विद्वान भी सात अक्टूबर को ही व्रत के पक्ष में :

जीवित्पुत्रिका के संदर्भ में असमंजस को दूर करने हेतु वाराणसी में विद्वतगणों की बैठक में काशी हिन्दु विश्वविद्यालय वाराणसी ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो चन्द्रमा पाण्डेय व प्रो चन्द्रमौली उपाध्याय व काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद व सम्पूर्णान्द संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो नागेन्द्र पण्डेय व युवा ब्राह्मण चेतना मंच के संयोजक डा शुभाष पाण्डेय व पंडित अखिलानन्द मिश्र ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के आचार्य राकेश कुमार मिश्र ज्योतिषाचार्य के द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सप्तमी विद्धा अष्टमी का त्याग करते हुए उदय कालीन अष्टमी में 7 अक्टूबर को जीवित्पुत्रिका व्रत शास्त्र सम्मत है. ज्योतिष शास्त्र से पंचाग है न की पंचाग से ज्योतिष शास्त्र ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है की सप्तमी युक्त अष्टमी करने पर सात जन्मो तक बन्ध्या और बार-बार विधवा होना पड़ता है. अतः 7 अक्टूबर को व्रत कर 8 अक्टूबर को सूर्योदय के बाद पारण करें.






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