वीडियो : मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की आमसभा में छाया रहा एकीकरण और डिजिटलाइजेशन का मुद्दा ..

ऐसे में सहज समझा जा सकता है कि सरकार किस तरह से हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. वहीं, बैंक कर्मियों के रिटायरमेंट के बाद नई नियुक्ति भी नहीं हो रही है. यहां सौ लोग रिटायर होते हैं तो केवल पांच लोग नियुक्त होते हैं.








- बैंकर्स ने सरकार को दी चुनौती, मांगे पूरी नहीं होने पर होगा विरोध
- नगर भवन में आयोजित किया गया था त्रैमासिक आम सभा का कार्यक्रम

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिला मुख्यालय स्थित नगर भवन में दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक ऑफिसर एसोसिएशन की एक आम सभा का आयोजन किया गया. इस आम सभा में पूरे बिहार के अधिकारी शामिल हुए. इसके अलावे मुख्य अतिथि के रूप में बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री सुरेंद्र राम भी शामिल हुए. इसमें ग्रामीण बैंक को एकीकृत कर राष्ट्रीय पहचान देने की मांग के साथ डिजिटलाइजेशन की मांग भी हुई.

इस दौरान मौके पर मौजूद बैंकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रणवीर आनंद ने केंद्र की सरकार पर जमकर निशाना साधा. साथ ही यह कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती तो आंदोलन को और भी धारदार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के ऑफिसर्स एसोसिएशन की यह त्रैमासिक आम सभा है जिसमें संपूर्ण बिहार के 20 जिले जहां हमारी सर्विस है वहां से हजार से ज्यादा की संख्या में बैंक कर्मी बक्सर की पावन धरती पर पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि आज संगठन की नई इकाई का भी गठन होगा और उसके बाद सरकार की जनविरोधी और बैंकर्स विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी.

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ऑल इंडिया रूरल बैंक ऑफिसर्स फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष शगुन शुक्ला ने बताया कि भारत का सबसे बड़ा बैंक होने के बावजूद ग्रामीण बैंक के साथ सरकार सौतेला व्यवहार करती है. हमारी मांग है कि सभी ग्रामीण बैंकों को एकीकृत कर राष्ट्रीय पहचान दी जाए. साथ ही ग्रामीण बैंक के डिजिटाइजेशन को बढ़ावा दिया जाए. हमारे यहां जितनी संख्या में बैंक है उसके अनुपात में एक प्रतिशत भी एटीएम नहीं है. नेट बैंकिंग आदि की सुविधा भी हमारे यहां नहीं है, जबकि हम मध्य और निम्न आय वर्ग के लोगों को सबसे अधिक बैंकिंग सेवा का लाभ देते हैं और वैसे ही लोगों के खाते हमारे यहां खोले गए हैं. ऐसे में सहज समझा जा सकता है कि सरकार किस तरह से हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. वहीं, बैंक कर्मियों के रिटायरमेंट के बाद नई नियुक्ति भी नहीं हो रही है. यहां सौ लोग रिटायर होते हैं तो केवल पांच लोग नियुक्त होते हैं.


कार्यक्रम में पहुंचे श्रम संसाधन विकास मंत्री सुरेंद्र राम ने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह से कई सरकारी विभागों को निजी हाथों में बेच रही है उसी क्रम में अब वह एलआईसी के साथ-साथ बैंक का भी निजीकरण करने की तैयारी कर रही है. हमने बैंकर्स को यह कहा है कि आप एकजुट होकर इस लड़ाई को लड़िए हम आपके साथ हैं. कार्यक्रम में बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे भी पहुंचे हुए थे.




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