भगवान और संतो की कृपा से बदलता है मन - आचार्य गुप्तेश्वर जी महाराज

भगवान राम पिता के वरदान के खातिर और छोटी मैया कैकई की मांग को सहज स्वीकार कर लिया और वनवास को तैयार हो गए. माता कौशल्या के समझाने पर उन्होंने कहा की माता इसी में मेरा कल्याण है. यह कहकर श्री राम ने माता का आशीर्वाद मांगा. भगवान के वनवास के लिए तैयार होने पर माता सीता और भाई लक्ष्मण भी वन जाने को तैयार हो गए.






- राम कथा के 7 वें दिन भगवान का वनवास प्रसंग का श्रद्धालुओं ने किया श्रवण 
- शुक्रवार को ही दिया जाएगा कथा को विश्राम

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के सती घाट के समीप स्थित लाल बाबा आश्रम के महंत सुरेंद्र जी महाराज के सानिध्य में चल रहे राम कथा के 7 वें दिन भगवान का वन लीला प्रसंग हुआ. कथा वाचक जगतगुरु रामानुजाचार्य आचार्य गुप्तेश्वर जी महाराज ने कथा वाचन के दौरान भगवान के वनवास प्रसंग का बिस्तृत वर्णन किया. भगवान राम को राजा बनाये जाने की चर्चा पर कैकई ने राजा दशरथ से भरत को राजगद्दी और श्री राम के लिए वनवास माँगा जिसके कारण राजा दशरथ काफ़ी दुःखी हो जाते है और कहते हैं कि भरत को राजगद्दी देना तो ठीक है पर राम के लिए वनवास मेरे प्राण मांगने जैसा है. 

भगवान के वनवास मांगने पर रानी कैकई को सबने समझाया पर उन्होंने किसी की नहीं सुनी. भगवान राम पिता के वरदान के खातिर और छोटी मैया कैकई की मांग को सहज स्वीकार कर लिया और वनवास को तैयार हो गए. माता कौशल्या के समझाने पर उन्होंने कहा की माता इसी में मेरा कल्याण है. यह कहकर श्री राम ने माता का आशीर्वाद मांगा. भगवान के वनवास के लिए तैयार होने पर माता सीता और भाई लक्ष्मण भी वन जाने को तैयार हो गए.

श्री राम कथा में वनवास प्रसंग के दौरान 7 वें दिन भी महिला और पुरुष श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. आज राम कथा में राजगद्दी प्रसंग होगा. कथा को कल ही विश्राम दिया जायेगा क्योंकि आचार्य गुप्तेश्वर जी महाराज अगली कथा के लिए महाराष्ट्र निकल जायेंगे.










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