जीवन जीने की कला है भागवत कथा : आचार्य पुण्डरीक शास्त्री

बताया कि श्रीमद् भागवत की कथा कोई सामान्य कथा नही है. सिद्धाश्रम पुण्याश्रम है. यहां एक भागीरथी उत्तर में बह रही है और दूसरी भागीरथी श्रीमद् भागवत की कथा में बह रही है. दोनों भागीरथी में स्नान करने से ही मनुष्य जीवन में मोक्ष की प्राप्ति होगी.








- मामा जी की स्मृति में आयोजित है 16 वां प्रिया प्रियतम महोत्सव
- आचार्य पुंडरीक शास्त्री कह रहे हैं भागवत कथा


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : भागवत महापुराण केवल कथासंग्रह ही नही है अपितु मनुष्य के जीवन शैली जीने की कला है. श्रीमद् भागवत पुराण और हम सभी बक्सरवासी का सौभाग्य है कि आज भागवत कथा सिद्धाश्रम में हो रही है. मां गंगा जी हर जगह है किंतु तीर्थराज प्रयाग, बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी और सिधाश्रम बक्सर में मां गंगा की महत्ता और बढ़ जाती है. यह कहना है आचार्य पुण्डरीक शास्त्री जी का. वह नगर के नया बाज़ार स्थित सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में आयोजित कथा के दौरान बोल रहे थे.

मंगलवार को श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम नया बाज़ार में श्रीमन्नारायण दास भक्तमाली (मामा जी) की पुण्य स्मृति में आयोजित 16 वें प्रिया प्रियतम महोत्सव का शुभारंभ किया गया. कथा के प्रारंभ में आश्रम के महंत राजा राम शरण दास जी महाराज, रामनाथ ओझा और अन्य लोगों ने व्यास पीठ का पूजन किया. 

कथा का शुभारंभ करते हुए भारतभूषण श्री पुंडरीक शास्त्री जी के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा पर प्रकाश डाला गया जिसमें उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत की कथा कोई सामान्य कथा नही है. सिद्धाश्रम पुण्याश्रम है. यहां एक भागीरथी उत्तर में बह रही है और दूसरी भागीरथी श्रीमद् भागवत की कथा में बह रही है. दोनों भागीरथी में स्नान करने से ही मनुष्य जीवन में मोक्ष की प्राप्ति होगी. सोने की परख आग में, मित्र की परख संकट में, पत्नी की परख विपत्ति में और ज्ञानी व्यक्ति के विद्वता की परख भागवत पुराण में ही होता है. 

उन्होंने कहा कि जो भगवान की स्थापना कर दे वही ब्रह्म है उन्ही से ज्ञान की प्राप्ति होती है. ज्ञान ही एक परात्मा है, ज्ञान केवल विषय का ज्ञान नही है जब यह अनुभव होने लगे की सर्वत्र परमात्मा है यही ज्ञान है जब मनुष्य को को यथार्थ का ज्ञान हो जाय यही ज्ञान है और इस कलियुग में ज्ञान ही मनुष्य के मोक्ष का आधार है. इस अवसर पर भारी संख्या में भक्त लोगों ने उपस्थित होकर भागवत कथा का रसपान किया.
















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