अंत समय में नारायण का नाम याद आना परम सौभाग्य की बात :आचार्य

कभी-कभी अंत समय में मनुष्य की आवाज बंद हो जाती है या अचानक ही मनुष्य की मृत्यु हो जाती है. इसलिए अंत समय में नारायण का मुख पर आना सौभाग्य ही नहीं अपितु मनुष्य जीवन का परम सौभाग्य है. जीवन का यथार्थ भी यही है.











- सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में आयोजित है भागवत कथा
- आचार्य पुंडरीक शास्त्री महाराज कर रहे कथा वाचन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम नई बाज़ार में श्रीमन्नारायण दास भक्तमाली "मामा जी" की पुण्य स्मृति में आयोजित सोलहवें प्रिया प्रियतम महोत्सव में भागवत कथा के क्रम में तीसरे दिन कथावाचक पुण्डरीक शास्त्री जी ने कहा कि भगवान सुखदेव जी कहते हैं कि मनुष्य जीवन का जब अंत होने लगता है, जीवन की अंतिम बेला में यदि भगवान नारायण का नाम मुख पर आ जाए तो मनुष्य जीवन धन्य हो जाता है, क्योंकि बहुत से सिद्ध महात्मा लोगों को भी नारायण का नाम अंत समय में लें यह चाहते हुए भी संभव नहीं हो पाता है, क्योंकि प्रकृति पर किसी का वश नहीं हो पाता है. कभी-कभी अंत समय में मनुष्य की आवाज बंद हो जाती है या अचानक ही मनुष्य की मृत्यु हो जाती है. इसलिए अंत समय में नारायण का मुख पर आना सौभाग्य ही नहीं अपितु मनुष्य जीवन का परम सौभाग्य है. जीवन का यथार्थ भी यही है.

ध्यान क्या है? पतंजलि के योगदर्शन के अनुसार चित्त का एक हो जाना, चित्त का आन्दोलन समाप्त हो जाना, चित्त की तरंगें समाप्त हो जाना और चित्त के शांत हो जाने का ही नाम ध्यान है.  भागवत कथा में भी चित्त के शांत हो जाने को ही ध्यान कहा गया है.

दुनिया में सत्य को सभी ने स्वीकार किया है चाहे को किसी भी पंथ या धर्म को मानने वाला हो यहाँ तक कि चोरी करने वाले चोरों में भी जब धन के बटवारे की बात आती है तो उस समय वो भी सही सही धर्मपूर्वक और सत्यपूर्वक धन की बटवारे की बात करते हैं. सदा झूठ बोलने वाला व्यक्ति भी अपने पुत्र को सदा सत्यं वदतु का संदेश देता है.
















Post a Comment

0 Comments