कृष्णाब्रह्म निवासी शंकर प्रसाद साह रघुनाथपुर स्टेशन पर जमानिया जाने के लिए पैसेंजर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे इसी बीच डाउन लाइन से ब्रह्मपुत्र मेल पूरी रफ्तार से गुजरने लगी जहां बोगी के नीचे से लोहे का रॉड टूटकर निकल गया तथा प्लेटफार्म पर बैठे श्री शाह के पैर में जा लगा था.
-जिला उपभोक्ता फोरम के द्वारा उपभोक्ता को मिला न्याय
-रेलवे के उच्चाधिकारियों के विरुद्ध जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिस व्यक्ति को रेलवे की लापरवाह के कारण अपना पैर गंवाना पड़ा था उसे उपभोक्ता फोरम की सहायता से रेलवे के द्वारा नौ लाख रुपये की क्षतिपूर्ति का भुगतान हुआ. जिला उपभोक्ता आयोग बक्सर के अध्यक्ष सेवानिवृत न्यायाधीश वेद प्रकाश सिंह ने मंगलवार को परिवादी शंकर प्रसाद शाह को 9 लाख रुपये का चेक प्रदान किया, उक्त चेक को रेलवे ने उपभोक्ता आयोग के फैसले का अनुपालन करते हुए जमा किया था.
अधिवक्ता विष्णुदत्त द्विवेदी ने बताया कि 31 अगस्त 2013 को कृष्णाब्रह्म निवासी शंकर प्रसाद साह रघुनाथपुर स्टेशन पर जमानिया जाने के लिए पैसेंजर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे इसी बीच डाउन लाइन से ब्रह्मपुत्र मेल पूरी रफ्तार से गुजरने लगी जहां बोगी के नीचे से लोहे का रॉड टूटकर निकल गया तथा प्लेटफार्म पर बैठे श्री शाह के पैर में जा लगा था.
घटना में उन्हें गंभीर चोट लगी तथा बाद में उसके पैर को घुटने के नीचे से काटना पड़ा था. उक्त मामले को लेकर पीड़ित ने जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद पत्र संख्या 5 /2014 दाखिल किया था जहां सुनवाई में विपक्षी रेलवे की सेवा में त्रुटि पाई गई.
इस संबंध में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा 8 जनवरी 2016 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया जिसमें विपक्षी की सेवा में त्रुटि पाकर परिवादी को 6 लाख रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में देने का आदेश सुनाया गया लेकिन रेलवे ने जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए राज्य उपभोक्ता आयोग पटना में अपील दाखिल की. सुनवाई के दौरान राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा भी विपक्षी की सेवा को त्रुटिपूर्ण बताया गया. मामले को लेकर रेल विभाग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली में रिवीजन दाखिल किया लेकिन राष्ट्रीय आयोग ने उसे खारिज कर दिया. इधर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं करने के कारण रेलवे के उच्च अधिकारियों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था. मंगलवार को उपभोक्ता आयोग के फैसले का अनुपालन करते हुए विपक्षियों दावा की राशि एवं सूद जोड़कर कुल 9 लाख रुपयों का भुगतान किया गया.
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