आशा पुनः चली संघर्ष की राह पर ..

बताया कि विगत 2023 की हड़ताल के बाद सरकार द्वारा किए गए समझौते को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. सरकार की कुम्भकर्णी निद्रा तोड़ने के लिए यह प्रदर्शन होगा. अगर सरकार इस पर भी बात नहीं सुनती है तो हड़ताल जैसी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे.













- अपनी मांगों के समर्थन में 17 अगस्त को करेंगी प्रदर्शन
- राज्यव्यापी प्रदर्शन के तहत सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष होगा प्रदर्शन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बिहार राज्य आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ राज्य कार्यकारिणी के निर्णय अनुसार अपनी मांगों के समर्थन में 17 अगस्त 2024 को सूबे के प्रत्येक सिविल सर्जन के समक्ष विशाल प्रदर्शन कर अपनी मुख्यमंत्री को संबंधित मांग पत्र सिविल सर्जन के माध्यम से भेजेंगे.

इस संदर्भ में राज्य उपाध्यक्ष सह संयोजक अरुण कुमार ओझा ने बताया कि विगत 2023 की हड़ताल के बाद सरकार द्वारा किए गए समझौते को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. सरकार की कुम्भकर्णी निद्रा तोड़ने के लिए यह प्रदर्शन होगा. अगर सरकार इस पर भी बात नहीं सुनती है तो हड़ताल जैसी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे. 

अपनी 11 सूत्री मांग जिसमें मानदेय 2500 रुपये करने, पारितोषिक शब्द को हटाकर मानदेय किया जाए. आंगनबाड़ी के तर्ज पर उम्र सीमा 60 वर्ष के बदले 65 वर्ष करने, आशा आशा फैसिलिटेटर को सरकारी सेवक घोषित करने, आशा को मिलने वाले कार्यक्रमों के बदले पैसे में इजाफा करने, आशा फैसिलिटेटर को 20 दिन के बदले 30 दिन का भुगतान करने, आशा के तमाम बकाये का भुगतान करने, प्रखंडों में आशा के शोषण को बंद करने, आशा के रिटायरमेंट पैकेज में एक मुश्त 11 लाख रुपये देने, आशा को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि में समुचित वृद्धि करने की मांग पूरी की जाए.

उन्होंने कहा कि एनएचएम कर्मियों के हड़ताल को सम्मानजनक समझौता कर समाप्त कराया गया है. जिले के तमाम आशा एवं आशा फैसिलेटर से अनुरोध है कि इस प्रदर्शन को सफल बनाने में सहयोग करें.






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