पंचकोसी यात्रा सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक : वर्षा पाण्डेय

यह चिंता व्यक्त की गई कि बक्सर में महर्षि विश्वामित्र का कोई आश्रम या प्रतिमा अब शेष नहीं है. इसे जिले की सांस्कृतिक पहचान के लिए गंभीर चुनौती माना जा रहा है. सभी नागरिकों और सरकार से अनुरोध किया गया कि जिले के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का पुनरुद्धार किया जाए.







                                            





- सांस्कृतिक धरोहर के पुनरुद्धार का संकल्प
- विश्वामित्र आश्रम में हुआ पंचकोसी मेले का अंतिम पड़ाव

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले में आज लिट्टी चोखा के प्रसाद ग्रहण के साथ पंचकोसी मेला अपने अंतिम पड़ाव पावन स्थल विश्वामित्र आश्रम पर संपन्न हुआ. सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि यह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर जिलेवासियों के लिए गर्व का विषय है. इस अवसर पर पूरे जिले में पारंपरिक लिट्टी चोखा बनाकर सांस्कृतिक परंपराओं का पालन किया गया. 

उन्होंने कहा कि पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी पवित्र स्थल पर प्रभु श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण ने लिट्टी चोखा का प्रसाद ग्रहण किया था. यही परंपरा आज भी जिले के प्रत्येक परिवार द्वारा हर्षोल्लास के साथ निभाई जाती है. इस खास दिन पर बक्सर की वर्षा पाण्डेय द्वारा आयोजित लिट्टी-चोखा के मैत्री भोज में जिले के गणमान्य लोगों ने भाग लिया और प्रसाद ग्रहण कर इस परंपरा को संजोया.



धरोहर संरक्षण का आह्वान :

इस पावन अवसर पर वर्षा पांडेय द्वारा यह चिंता व्यक्त की गई कि बक्सर में महर्षि विश्वामित्र का कोई आश्रम या प्रतिमा अब शेष नहीं है. इसे जिले की सांस्कृतिक पहचान के लिए गंभीर चुनौती माना जा रहा है. सभी नागरिकों और सरकार से अनुरोध किया गया कि जिले के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का पुनरुद्धार किया जाए.

इस दिशा में प्रयास करते हुए इन स्थलों को विश्व पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है, जो जिले की आर्थिक समृद्धि और पहचान दोनों को बढ़ावा देगी.

सिद्धाश्रम के प्रबुद्धजनों की उपस्थिति :

कार्यक्रम में सिद्धाश्रम के सभी प्रबुद्धजन उपस्थित रहे और जिले की सांस्कृतिक धरोहर के पुनरुद्धार में भागीदारी का संकल्प लिया. बक्सरवासियों से सहयोग की अपील करते हुए आयोजन ने जिले के गौरव को पुनर्जीवित करने की दिशा में कदम बढ़ाने का आह्वान किया.









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