श्री सीताराम विवाह आश्रम में जारी 55वें सिय पिय मिलन महोत्सव के तीसरे दिन, शनिवार को भी भक्ति रसधारा बहती रही. इस दौरान धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रही. महंत राजाराम शरण दास जी के सानिध्य में यह आयोजन श्रद्धालुओं को धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान कर रहा है.
प्रस्तुति देते कलाकार |
- सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में जारी है धार्मिक आयोजन
- बक्सर नगर में मिथिला का हो रहा आभास
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : धर्म और अध्यात्म की नगरी बक्सर के नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह आश्रम में जारी 55वें सिय पिय मिलन महोत्सव के तीसरे दिन, शनिवार को भी भक्ति रसधारा बहती रही. इस दौरान धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रही. महंत राजाराम शरण दास जी के सानिध्य में यह आयोजन श्रद्धालुओं को धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान कर रहा है.
महोत्सव की शुरुआत आश्रम के परिकरों द्वारा श्रीरामचरितमानस के नवाह्न पाठ से हुई. दामोह की संकीर्तन मंडली ने हरि नाम संकीर्तन अखंड अष्टयाम का आयोजन किया, जो श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबोता रहा.
कालिया नाग वध की लीला का हुआ मंचन :
महोत्सव में वृंदावन के श्री फतेह कृष्ण शास्त्री की मंडली ने रासलीला के दौरान कालीदह लीला का भव्य मंचन किया. रासलीला में दिखाया गया कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद कंस को मृत्यु का भय सताने लगता है. वह कृष्ण वध का उपाय पूछने के लिए नारद मुनि को बुलाता है. नारद मुनि उसे गोकुल के पास स्थित कालीदह की ओर इशारा करते हैं, जहां नीलकमल खिले होते हैं. वह सुझाव देते हैं कि भगवान शिव की पूजा के लिए कृष्ण से नीलकमल मंगवाया जाए.
कंस की आज्ञा पर सैनिक नंद बाबा के पास फूल मंगाने जाते हैं. यह सुनकर नंद बाबा और माता यशोदा चिंतित हो जाते हैं. उधर, श्रीकृष्ण गेंद खेलते हुए कालीदह पहुंचते हैं और फूल के लिए कालीदह में कूद पड़ते हैं. गोकुलवासी चिंतित होकर वहां पहुंचते हैं, लेकिन थोड़ी देर में श्रीकृष्ण कालिया नाग को नाथते हुए उसके फन पर बंसी बजाते नजर आते हैं. यह दृश्य देखकर सबकी जय-जयकार गूंज उठती है.
रामलीला : जय-विजय लीला का प्रदर्शन
आश्रम के परिकरों ने रामलीला के अंतर्गत जय-विजय लीला और अवतार प्रयोजन की कथा का मंचन किया. इसमें प्रभु श्रीराम के अवतार लेने के उद्देश्य और जय-विजय के शाप-मोचन की कथा को जीवंत किया गया. प्रस्तुति को देख लोग भगवान के जयकारे लगाते रहे.
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ :
तीसरे दिन के कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए. आश्रम में हर ओर भक्ति का माहौल रहा. मधुर भक्ति गीत, कथा, कीर्तन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने आयोजन को स्मरणीय बना दिया.
देश के कोने-कोने से पहुंचे हैं संत महात्मा :
55वें सिय-पिय मिलन महोत्सव के मौके पर देश के कोने-कोने से साधु-संतों एवं श्रद्धालु भक्तों के साथ ही नेहनिधि नारायण दास भक्तमाली उपाख्य "मामाजी" महाराज के शिष्यों का आगमन हो गया है. कोई दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल से तो कोई मथुरा, वृंदावन, अयोध्या, काशी आदि धार्मिक स्थलों से कार्यक्रम में पहुंच कर स्वयं को धन्य मान रहे हैं.
ज्ञात हो कि यह आयोजन पूज्य संत खाकी बाबा की स्मृति में आयोजित किया जा रहा है और आने वाले दिनों में भी यह धार्मिक उत्सव इसी भव्यता से जारी रहेगा.
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