लंबे समय से शिकायत थी कि कुछ शिक्षक फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी कर रहे हैं. जब जांच का समय आया तो ये शिक्षक लगातार गैरहाजिर रहे. आखिरकार प्रखंड नियोजन इकाई की बैठक में तीनों को बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया.
- जांच में अनुपस्थित रहे शिक्षक, प्रखंड नियोजन इकाई ने लिया बड़ा फैसला
- शिक्षा विभाग में पारदर्शिता लाने की दिशा में प्रशासन की सख्त कार्रवाई
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के नावानगर प्रखंड से बड़ी खबर सामने आई है. यहां फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्त तीन शिक्षकों को सेवा से हटा दिया गया है. यह कार्रवाई प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार की ओर से की गई है. लंबे समय से शिकायत थी कि कुछ शिक्षक फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी कर रहे हैं. जब जांच का समय आया तो ये शिक्षक लगातार गैरहाजिर रहे. आखिरकार प्रखंड नियोजन इकाई की बैठक में तीनों को बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया.
सेवा से हटाए गए शिक्षकों में संजय कुमार सिंह और अमित कुमार सिंह मध्य विद्यालय मणिया में पदस्थापित थे. जबकि आलोक कुमार सिंह मध्य विद्यालय धनबखरा में कार्यरत थे. संजय और अमित 13 अप्रैल 2024 से स्कूल नहीं आ रहे थे. वहीं आलोक 16 अगस्त 2024 से अनुपस्थित चल रहे थे. बार-बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद तीनों शिक्षक प्रमाणपत्र जांच में उपस्थित नहीं हुए. इससे यह साफ हो गया कि उनकी नियुक्ति में गड़बड़ी है.
बीडीओ मनोज कुमार ने बताया कि शिक्षा प्रणाली की शुचिता बनाए रखने के लिए यह कदम जरूरी था. जब कोई शिक्षक लगातार जांच से भागे और दस्तावेज पेश करने से इनकार करे तो यह साबित करता है कि उसने गलत तरीके से नौकरी हासिल की है. ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होना जरूरी है ताकि योग्य अभ्यर्थियों को न्याय मिल सके.
प्रखंड कार्यालय की ओर से कई बार लिखित सूचना भेजी गई. लेकिन तय समय पर तीनों में से कोई भी शिक्षक जांच के लिए नहीं पहुंचा. इसके बाद प्रखंड नियोजन इकाई की 13 मई 2025 को हुई बैठक में इनका नियोजन रद्द करने का निर्णय लिया गया. साथ ही आगे कानूनी प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश दिया गया है.
अब इन शिक्षकों से अब तक प्राप्त वेतन की वसूली की जाएगी. साथ ही प्राथमिकी दर्ज कर इनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई भी होगी. बीडीओ ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए अन्य शिक्षकों के दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है. कोई भी फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे अब नौकरी नहीं कर सकेगा.
स्थानीय लोगों ने प्रशासन की इस कार्रवाई का स्वागत किया है. ग्रामीणों का कहना है कि फर्जी तरीके से शिक्षक बनने वाले बच्चों का भविष्य बिगाड़ते हैं. इस फैसले से योग्य शिक्षकों को मौका मिलेगा और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी.
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