लालगंज में जमीन विवाद गहराया, स्थानीय निवासी पर जबरन कब्जे और धमकी के आरोप ..

बताया कि सत्यानंद पांडेय की जमीन पर भी उन्होंने कब्जा किया था, जिसे बाद में छोटे सिंह ने खरीद लिया. लेकिन कब्जा छोड़ने के बदले सुदामा सिंह ने जबरन दो बीघा जमीन की मांग की और बिना भुगतान किए रजिस्ट्री करवाई.

जमीन पर बातचीत करते लोग









                                           








  • प्रशासन की निष्क्रियता से तनाव, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
  • जनता दरबार में भी नहीं मिली सुनवाई, सीमांकन रोकने का आरोप

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सदर प्रखंड के लालगंज मौजा स्थित इटाढ़ी रोड में जमीन विवाद ने गंभीर रूप ले लिया है. खाता संख्या 141, प्लॉट संख्या 26 में लंबे समय से चल रहे इस विवाद में बड़ी घटना की आशंका जताई जा रही है. आरोप है कि लालगंज निवासी सुदामा सिंह उर्फ सुदामा पहलवान 35 कठ्ठा की जमीन के दो कबाला डीड के बावजूद 40 कठ्ठा पर जबरन कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं. पीड़ित पक्ष का कहना है कि सुदामा सिंह प्रशासन के समक्ष कोई वैध कागजात प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं, फिर भी प्रशासन द्वारा उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है.

जानकारी के अनुसार, सुदामा सिंह पर मुफस्सिल थाना में रंगदारी, मारपीट और हत्या जैसे आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं. बावजूद इसके वे लगातार जमीन विवाद में सक्रिय हैं और पूर्व में कई लोगों से रंगदारी के बदले जमीन लेने के भी आरोप लगे हैं. पीड़ित पक्ष ने बताया कि सत्यानंद पांडेय की जमीन पर भी उन्होंने कब्जा किया था, जिसे बाद में छोटे सिंह ने खरीद लिया. लेकिन कब्जा छोड़ने के बदले सुदामा सिंह ने जबरन दो बीघा जमीन की मांग की और बिना भुगतान किए रजिस्ट्री करवाई.

इसी तरह शिवाला की जमीन और कलेक्ट्रेट रोड की परती जमीन भी उनके विवादों के कारण अब तक खाली पड़ी है. वर्तमान विवाद में पीड़ित ने जनता दरबार में भी शिकायत की थी, लेकिन सुदामा सिंह न तो उपस्थित हुए और न ही अपने दस्तावेज प्रस्तुत किए. सीओ द्वारा डीसीएलआर आदेश के आलोक में सीमांकन का निर्देश भी दिया गया, लेकिन राजस्व टीम और पुलिस की मौजूदगी के बावजूद सीमांकन कार्य को बाधित कर दिया गया.

पीड़ित आलोक कुमार ने बताया कि सुदामा सिंह ने उनके कबाला डीड में से दस फीट जमीन जबरन कब्जा कर ली है और उसे छोड़ने के बदले डेढ़ कठ्ठा जमीन की रजिस्ट्री की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे डीएम, एसपी, एसडीओ, सीओ और थाना में कई बार आवेदन दे चुके हैं लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है.

इस संबंध में लोक अभियोजक केदार तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जमीन विवाद के समाधान के लिए सीओ की उपस्थिति में कागज देखकर सुलह-समझौता कराने की जो नीति है, वह उचित है और इसमें सभी को सहयोग करना चाहिए. यदि कोई पक्ष कागजात प्रस्तुत नहीं करता है, तो सीओ और थानाध्यक्ष को विधिसम्मत कार्रवाई करनी चाहिए.

स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता और बढ़ते तनाव को देखते हुए इलाके में कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है. पीड़ित पक्ष ने प्रशासन से शीघ्र कार्रवाई की मांग की है.

इस मामले में सदर अंचलाधिकारी प्रशांत शांडिल्य से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं होने के कारण उनका पक्ष ज्ञात नहीं हो सका.








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