यह भी पाया कि पीड़िता की मां शराब के अवैध धंधे में प्राथमिक अभियुक्त थी और जेल भी जा चुकी थी. पीड़िता पक्ष को लगा कि अभियुक्त ने शराब के मामले में पुलिस को जानकारी दी थी. इस वजह से उन्होंने कानून का गलत इस्तेमाल कर झूठी प्राथमिकी दर्ज कराई.
- बक्सर में मनगढ़ंत आरोपों का भंडाफोड़, कोर्ट ने कार्रवाई का दिया आदेश
- सूचक और पीड़िता की मां पर दर्ज होगी प्राथमिकी, कोर्ट ने माना झूठा मामला
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : पॉक्सो अदालत ने झूठे केस दर्ज कराने वालों पर कड़ा रुख अपनाते हुए सूचक और पीड़िता की मां के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि गलत और मनगढ़ंत मुकदमे से आपराधिक न्याय प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. ऐसे मामलों में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
मामला महिला थाना और सिकरौल थाना क्षेत्र से जुड़ा है. जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश-6 सह विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अमित कुमार शर्मा की अदालत ने सुनवाई के बाद पाया कि दर्ज किया गया मामला पूरी तरह गलत और झूठा था. अदालत ने कहा कि कानून का दुरुपयोग करने वालों की खैर नहीं.
सूत्रों के अनुसार, सिकरौल निवासी अनंत चौधरी ने पुलिस को बताया कि पीड़िता की मां उसकी समधन है. आरोप था कि नाबालिग बच्ची शौच के लिए गई थी. इस दौरान अंतू चौधरी और अन्य लोगों ने कट्टा व पिस्तौल दिखाकर दुष्कर्म किया. जब पीड़िता चिल्लाई, तो परिवार के लोग पहुंचे और आरोपित वहां से भाग गए. पुलिस ने 13 अगस्त 2025 को फाइनल रिपोर्ट देते हुए मामले को झूठा बताया था.
कोर्ट ने सभी साक्ष्यों का गहन अवलोकन किया. पाया गया कि पीड़िता का बयान बार-बार बदल रहा था. कथित घटना 15 मार्च 2025 की बताई गई, जबकि प्राथमिकी 28 मार्च को दर्ज कराई गई थी. एफएसएल रिपोर्ट में कपड़ों और आंतरिक चिकित्सा जांच की जानकारी देने से पीड़िता ने इनकार किया. आरोपितों और गवाहों के मोबाइल लोकेशन भी घटनास्थल से मेल नहीं खा रहे थे. इस तरह मामला पूरी तरह संदिग्ध पाया गया.
कोर्ट ने यह भी पाया कि पीड़िता की मां शराब के अवैध धंधे में प्राथमिक अभियुक्त थी और जेल भी जा चुकी थी. पीड़िता पक्ष को लगा कि अभियुक्त ने शराब के मामले में पुलिस को जानकारी दी थी. इस वजह से उन्होंने कानून का गलत इस्तेमाल कर झूठी प्राथमिकी दर्ज कराई.
अदालत ने कहा कि आपराधिक न्याय को प्रभावित करने के उद्देश्य से नाबालिग को साधन बनाकर जघन्य और झूठे आरोप लगाए गए. इसलिए पुलिस को निर्देश दिया गया है कि सूचक और पीड़िता की मां के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर विधि सम्मत कार्रवाई की जाए.
कानून जानकारों का कहना है कि झूठी प्राथमिकी दर्ज कराने वालों के खिलाफ कानून में सजा का प्रावधान है. हाल के दिनों में पॉक्सो अदालत ने कई ऐसे मामलों में सूचक के खिलाफ उलटी कानूनी कार्रवाई की है, जिससे झूठे मामलों के खिलाफ सख्ती बढ़ी है.





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