लाइव : चौसा में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के मुख्य द्वार पर किसानों ने लगाया टेंट, रात्रि भोज के बाद हरिकीर्तन शुरु ..

किसान राम प्रवेश सिंह ने बताया कि सुबह में पूड़ी-बुनिया का भोज हमलोगों ने कराया था. रात्रि में खिचड़ी-चोखा का भोज कराया जा रहा है. हमलोग से किसी भी सक्षम अधिकारी ने अभी तक कोई बात नहीं की. हालांकि, किसान का यह भी कहना है कि वह छोटे अधिकारियों से बात करना भी नहीं चाहते हैं.






- निर्माणाधीन एसजेवीएन थर्मल पावर प्लांट के मुख्य गेट पर सुबह से धरने पर राशन पानी के साथ बैठे किसानों ने कराया खिचड़ी चोखे का रात्रि में भोज
- मामले में प्रशासन वार्ता को तैयार पर किसान कर रहे बड़े अधिकारियों को बुलाने की मांग

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : एसजेवीएन पावर प्लांट के मुख्य द्वार पर सुबह से ही राशन पानी के साथ धरने पर बैठे किसानों ने रात्रि में खिचड़ी चोखे के भोज के साथ हरिकीर्तन कार्यक्रम भी अयोजित किया है. प्रभावित किसान ढोलक, झाल के साथ मुख्य गेट पर लगे टेंट में हरिकीर्तन शुरु कर चुके हैं. 


इस दौरान किसानों के सुरक्षा में तैनात महिला एवं पुरुष पुलिसकर्मी भी जहां-तहां गोलबंद होकर लूडो आदि खेलकर समय व्यतीत करते दिखाई दे रहे हैं. खास बात यह है कि धरने के लिए ना तो किसानों के इस गुट के द्वारा अनुमति ली गई है और ना ही प्रशासन इन पर कोई सीधी कार्रवाई की बात कह रहा है. ऐसे में इस आंदोलन के स्वरूप और प्रशासन की कार्यशैली दोनों पर सवाल उठ रहे हैं.

हरिकीर्तन के कार्यक्रम में शामिल किसान राम प्रवेश सिंह ने बताया कि सुबह में पूड़ी-बुनिया का भोज हमलोगों ने कराया था. रात्रि में खिचड़ी-चोखा का भोज कराया जा रहा है. हमलोग से किसी भी सक्षम अधिकारी ने अभी तक कोई बात नहीं की. हालांकि, किसान का यह भी कहना है कि वह छोटे अधिकारियों से बात करना भी नहीं चाहते हैं.

सुबह से ही पहुंच गए थे किसान :
 
गौरतलब है कि किसानों के द्वारा निर्माणाधीन एसजेवीएन पावर प्लांट के मुख्य गेट पर मंगलवार  की सुबह से टेंट लगाकर राशन-पानी के साथ धरने पर बैठे किसानों ने जहां निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट का काम ठप करा दिया है वहीं, जिला प्रशासन  अधिकारियों की चिंता भी बढ़ा दी है. 

एसडीएम की कोशिश हुई नाकाम :

जिला प्रशासन की तरफ से एसडीएम धीरेन्द्र मिश्रा के द्वारा किसानों को समझाने-बुझाने का अथक प्रयास किया गया लेकिन कोई फलाफल नहीं निकला. किसानों ने बताया कि वह ऐसे ही विकट परिस्थिति में खेतों में डटे रहते हैं और आज भी जमीन पर सो कर ही रात गुजारेंगे. लेकिन, अब अपना हक और हिसाब लेकर रहेंगे. यह गेट तभी खाली होगा जब हमारी मांग मान ली जाएगी.

किसानों की जायज मांगों के साथ है प्रशासन : जिला पदाधिकारी 
किसानों से लगातार वार्ता हो रही है. पिछले चार अक्टूबर को ही एडीएम की अध्यक्षता में समन्वय समिति की बैठक हुई थी जिसमें किसानों की जायज मांगों को सीधे कंपनी के अधिकारियों के समक्ष रखा गया था. मुआवजे की बात एलएआर कोर्ट के माध्यम से सुनी जा रही है उसका फैसला आते ही मुआवजा भी मिल ही जाएगा. इसके अतिरिक्त अन्य जायज मांगे भी सुनी और उन्हें पूरा करने का प्रयास भी किया जा  रहा है. 
अंशुल अग्रवाल,
जिला पदाधिकारी, बक्सर

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