भयंकर शीतलहर में स्कूलों को खोलने का आदेश अमृत काल पर काला धब्बा : अनिल त्रिवेदी

कहा कि स्थिति के अनुकूल निर्णय लेना लोकतंत्र की खूबसूरती होती है. लेकिन कुछ अधिकारी केवल अफसर राज चलाना जानते हैं. हालांकि उन्हें पटना के जिलाधिकारी जैसे कुछ अवसर जवाब भी दे रहे हैं लेकिन जरूरत है कि सभी ऑफिसर अपनी अंतरात्मा की आवाज सुने.







- विचार गोष्ठी के दौरान बोले भोजपुरी साहित्य मंडल के अध्यक्ष
- अमृत काल में गणतंत्र दिवस की उपलब्धियां विषय पर आयोजित थी विचार गोष्ठी
 
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बिहार सहित संपूर्ण उत्तर भारत में भयंकर शीतलहर और कोहरे का कहर जारी है. ऐसे में बिहार में छोटे बच्चों के स्कूल को खोले रखने संबंधी शिक्षा विभाग के एक उच्च पदाधिकारी का तुगलकी फरमान अमृतकाल पर काले धब्बे की तरह है. ठण्ड में स्कूल खुलने के कारण बिहार में दो बच्चों की मौत की खबर समाचार पत्र छपी है क्या इस दर्दनाक मौत की जिम्मेदारी लेने की नैतिक जिम्मेदारी पदाधिकारी महोदय लेने को तैयार हैं और पीड़ित परिवार को अपने पास से मुआवजा देकर प्रायश्चित करेंगे. यह बातें भोजपुरी साहित्य मंडल के अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी ने कहीं. 

वह भोजपुरी साहित्य मंडल की ओर से गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पुराना चौक की स्थित एक निजी भवन में आयोजित अमृत काल में गणतंत्र दिवस की उपलब्धियां विषय पर आयोजित एक विचार गोष्ठी में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि स्थिति के अनुकूल निर्णय लेना लोकतंत्र की खूबसूरती होती है. लेकिन कुछ अधिकारी केवल अफसर राज चलाना जानते हैं. हालांकि उन्हें पटना के जिलाधिकारी जैसे कुछ अवसर जवाब भी दे रहे हैं लेकिन जरूरत है कि सभी ऑफिसर अपनी अंतरात्मा की आवाज सुने और जनहित में ऐसे आदेशों को मानने से इनकार करें.

सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ अरुण मोहन भारवि ने कहा कि अमृत काल के गणतंत्र दिवस की अनेक उपलब्धियां जनमानस के पटल पर दर्ज की गई है जिसमें तीन तलाक से तौबा, धारा 370 की विदाई, 500 साल बाद रामलाल की टाट के बदले ठाट से अपने भवन में वापसी तथा गरीबों वंचितों की दमदार आवाज जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा जाना शामिल है.

विचार गोष्ठी में जिसमें नगर के प्रबुद्ध जनों ने अपनी सहभागिता निभाई. कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी और संचालन श्रीधर शास्त्री ने किया. संगोष्ठी में कुशध्वज सिंह, अमरेंद्र दुबे, अभिषेक वर्मा, राजेश वर्मा, मन्नू प्रसाद, टुनटुन दुबे, मनोज कश्यप, राजेश महाराज, कामरान खान, विमलेश पाठक, दिनेश राय आदि ने अपने विचार साझा करते हुए इस अमृत काल को भारतीय गणतंत्र के लिए एक शुभ साल स्वीकारते हुए इसे भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय लोकतंत्र के लिए शुभ साल मना है.












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