कानून की छत्रछाया में हुई थी कानून से खेलने वाले शहाबुद्दीन की परवरिश, बक्सर से था गहरा नाता ..

शहाबुद्दीन को वह अपने साथ ही रख कर पढ़ाते थे. उस समय वह बंगला घाट के पास स्थित पुराने न्यायालय परिसर में ही रहा करते थे. शहाबुद्दीन पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी रुचि रखते थे और कभी-कभी किला मैदान में क्रिकेट भी खेला करते थे. 

 





- एमपी हाई स्कूल के छात्र रह चुके हैं शहाबुद्दीन
- न्यायिक पदाधिकारी मामा के साथ रहकर करते थे पढ़ाई

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: सिवान में आतंक का पर्याय माना जाने वाले शहाबुद्दीन का दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया. शहाबुद्दीन पर दर्जनों संगीन मामले दर्ज थे, जिनमें 2004 में शहाबुद्दीन के गांव प्रतापपुर के निवासी व व्यवसाय चंदा बाबू के दो लड़कों को तेजाब से नहला कर मार देना, फिर वर्ष 2015 में उनके एक अन्य पुत्र की गोली मारकर हत्या तथा वर्ष 2016 में पत्रकार राजदेव रंजन के हत्या जैसे मामले शामिल हैं. शनिवार सुबह शहाबुद्दीन के मरने की खबर आई. एक न्यूज़ एजेंसी ने पहले ट्वीट कर इसकी जानकारी दी फिर बाद में तिहाड़ जेल प्रशासन के द्वारा पुष्टि नहीं होने की बात का उसमें करेक्शन किया लेकिन, अब तक तिहाड़ जेल प्रशासन के द्वारा भी शहाबुद्दीन की मौत की पुष्टि हो गई. कई दशकों जिस शहाबुद्दीन के तूती सिवान तथा पूरे बिहार की राजनीति में बोलती थी उस शहाबुद्दीन का अंत कोरोना संक्रमण से हो गया.




कई तरह के कुकृत्य कर कानून से खेलने वाले शहाबुद्दीन की परवरिश भी कानून के साए में ही हुई थी. बक्सर में शहाबुद्दीन ने अपना बचपन गुजारा था. वर्ष 1980 में एमपी हाई स्कूल में दसवीं के छात्र से उनके मामा मोहम्मद मुस्तकीम बक्सर न्यायालय में मुंसिफ(न्यायिक मजिस्ट्रेट) के पद पर कार्यरत थे. वह 1979 से 1982 तक बक्सर में पोस्टेड थे. इस दौरान वह अकेले ही रहा करते थे. ऐसे में अपने भांजे शहाबुद्दीन को वह अपने साथ ही रख कर पढ़ाते थे. उस समय वह बंगला घाट के पास स्थित पुराने न्यायालय परिसर में ही रहा करते थे. शहाबुद्दीन पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी रुचि रखते थे और कभी-कभी किला मैदान में क्रिकेट भी खेला करते थे. 


शहाबुद्दीन के मामा मो. मुस्तकीम के साथ बतौर पेशकार काम कर चुके आरा के रहने वाले रवि शंकर पांडेय उन्होंने बताया कि बक्सर में पोस्टिंग के दौरान वह भी नावानगर के रामपुर के रहने वाले अपने एकमात्र साले शिव शंभू नाथ तिवारी को अपने साथ रख कर पढ़ाते थे. श्री तिवारी वर्तमान में रेलवे में टीटीई हैं और बक्सर में पोस्टेड हैं, उन्होंने बताया कि अपने साले तथा शहाबुद्दीन को वह एक साथ ही पढ़ाया करते थे लेकिन, उन्हें क्या मालूम था कि वह अपराध का रास्ता चुनेगा और इस तरह से अपने कुकृत्यों के लिए जाना जाएगा. 

उधर, शहाबुद्दीन के निधन पर पूर्व विधान परिषद व विधानसभा सदस्य नंद किशोर राम ने शोक व्यक्त किया है.








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