सांसद ने किया 62 करोड़ की लागत से गोकुल जलाशय को संवारने की वादा, ग्रामीणों में खुशी के साथ मायूसी भी ..

ग्रामीणों की माने तो 1952- 53 में गंगा नदी अपनी धारा को मोड़कर यहां से लगभग 8 किलोमीटर उत्तर दिशा में जवही दियारा के उस पार चली गई , और तब वह अपनी निशानी के तौर पर एक उप धारा छोड़ गई. इसे ही लोग आज गंगा नदी का भागड़ या गोकुल जलाशय के नाम से जानते हैं.






- 2 साल पूर्व तत्कालीन जिला पदाधिकारी अमन समीर ने भी किया था वादा
- केंद्रीय मंत्री की घोषणा के बाद भी वादा पूरा होने को लेकर सशंकित हैं ग्रामीण

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे एक दिवसीय दौरे पर बक्सर पहुंचे जहां सबसे पहले विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर उन्होंने ब्रह्मपुर के गंगा दियारा इलाके में गोकुल जलाशय के तट पर स्कूली बच्चों के संग वृक्षारोपण किया. साथ ही 62 करोड़ की लागत से जलाशय का जीर्णोद्धार कराने की उन्होंने घोषणा की, जिसको लेकर  स्थानीय लोगो मे खुशी के साथ मायूसी भी है. क्योंकि वर्ष 2021 में तत्कालीन जिलाधिकारी अमन समीर ने भी इस जलाशय का निरीक्षण कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का घोषणा की थी. जो केवल घोषणा ही बनकर रह गई.

35 किलोमीटर में फैला है जलाशय, विदेशी पक्षियों के लिए है आकर्षण का केंद्र :

जिले के चक्की प्रखंड  से लेकर ब्रह्मपर प्रखण्ड के नैनीजोर तक लगभग 35 किमी के दायरे में फैला हुआ यह जलाशय दियारांचल क्षेत्र के मत्स्य पालकों एवं कृषकों के  लिए वरदान साबित हो रहा था. जो आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रहा है. दो दशक पूर्व इस विशालकाय जलाशय का महत्व गंगा नदी के समान ही था. ग्रामीणों की माने तो 1952- 53 में गंगा नदी अपनी धारा को मोड़कर यहां से लगभग 8 किलोमीटर उत्तर दिशा में जवही दियारा के उस पार चली गई , और तब वह अपनी निशानी के तौर पर एक उप धारा छोड़ गई. इसे ही लोग आज गंगा नदी का भागड़ या गोकुल जलाशय के नाम से जानते हैं.

इलाके के किसानों के लिए वरदान है यह जलाशय :

गंगा नदी की धारा गायघाट, सपही, दल्लुर, चंद्रपुरा उधूरा,महुआर होते हुए नैनीजोर तक पहुंचती है. इस जलाशय से किसान खेतो में लहलहाती फसलों की सिंचाई करने के साथ ही मछली मार कर अपने परिवार का भरण पोषण भी करते हैं. जलाशय के विस्तृत क्षेत्र में पशुओ के लिए पूरे वर्ष हरा चारा मिलता है. इस क्षेत्र में निवास करने वाले नीलगाय व हिरणों की प्यास बुझाने और उन्हें आश्रय देने का यही एकमात्र जलाशय है. लेकिन जनप्रतिनिधियो और अधिकारियो की उदासीनता के कारण इस  जलाशय का अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगा है.

ग्रामीणों ने सीएम से लेकर पीएम तक को लिखा पत्र :

ब्रह्मपुर क्षेत्र के  सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गोकुल जलाशय का जीर्णोद्धार कराने के साथ ही उसको पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने तथा उसमें मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र खोलने को लेकर पिछले दो दशक से संघर्ष करते आ रहे हैं. इसके लिए उनके द्वारा क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से लेकर सीएम और पीएम तक को पत्र लिखकर गुहार लगाई. वर्ष 2006 में इसे बिहार विधानसभा की याचिका समिति के सामने भी रखा गया तत्कालीन विधायक व समिति के सदस्य प्रो. ह्रदय नारायण सिंह के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय टीम ने गोकुल जलाशय का निरीक्षण कर जलाशय के विकास के लिए  संबंधित विभाग को अनुसंशा भी की थी. समिति की रिपोर्ट  अनुशंसा के बाद 2008 में इस जलाशय के विकास के लिए 3 करोड़ 71 लाख का प्राक्कलन तैयार कर उसे निदेशक मत्स्य विभाग पटना व जिला प्रशासन को जिला मत्स्य पदाधिकारी द्वारा उपलब्ध कराया गया था. लेकिन 15 वर्षों के बाद भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. उसके लिए बनाया गया पौने चार करोड़ का प्राक्कलन फाइलों में ही सिमट कर रह गया.

जिलाधिकारी की घोषणा भी कागजों पर सिमटी :

2021 में तत्कालीन जिलाधिकारी अमन समीर ने इस जलाशय का निरीक्षण कर  पर्यटन स्थल के रूप में इसे विकसित करने का संकल्प लिया था. लेकिन अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में इस जलाशय के जीर्णोद्धार के लिए एक ईंट तक नही वहां नहीं रखवाई. आज एक बार फिर केंद्रीय मंत्री सह सांसद अश्विनी चौबे ने 62 करोड़ की लागत से इसका जीर्णोद्धार कराने का घोषणा की है.

कहते हैं केंद्रीय मंत्री :

इस जलाशय का जीर्णोद्धार के लिए बहुत बड़ा प्रोजेक्ट बन रहा है, 62 करोड़ रुपए की लागत से यह वेटलैंड पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा इस पर तेजी से काम चल रहा है.

अश्विनी चौबे,
केंद्रीय मंत्री सह सांसद

कहते हैं ग्रामीण : 

जब भी चुनाव आता है नेता, मंत्री, अधिकारी, विधायक ,सांसद आते हैं और इस जलाशय के जीर्णोद्धार कराने की बात कहकर ग्रामीणों का वोट लेकर भूल जाते हैं. चार साल बाद एक बार फिर मंत्री जी ने इस जलाशय का जीर्णोद्धार कराने की बात कही है तो हमलोगों में फिर भरोसा जगा है. निश्चय ही इससे पर्यटन के साथ ही रोजगार के अवसर मिलेंगे.

हरिप्रसाद
स्थानीय ग्रामीण









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